Introduction:-
MCB का मतलब Mineature Circuit Breaker आपके घर को बिजली से होने वाले नुकसान से बचाता है । यह ब्रेकर आपको दो सिचुएशन से बचाता है। पहले है शॉर्ट सर्किट और दूसरी ओवरलोड कंडीशंस मैं । शॉर्ट सर्किट के केस में MCB करीब 3milisecond से भी कम समय में ट्रिप होकर अंदर के कनेक्शन को आइसोलेट कर देता है। चलिए देखते हैं कि यह स्मार्ट डिवाइस इतनी जल्दी और सटीक तरह से कैसे शॉट सर्किट को डिटेक्ट कर लेता है।
MCB का अबिस्कार क्यूं हुए:-
पुराने दिनों में से एक साधारण से डिवाइस जिससे फ्यूज कहा जाता था ,जिसमें एक लो मेल्टिंग पॉइंट का तार होता था । उसका इस्तेमाल घरों की सुरक्षा के लिए किया जाता था । पहले बताई गई दोनों ही फाल्ट की कंडीशन में करंट बढ़ जाता है। जिसकी वजह से ओवरहीटिंग होती है और तार कट हो जाता है या सर्किट टूट जाता है । पर हर बार जब फ्यूज फॉल्ट हो जाता था तो आपको उसे खुद ही रिप्लेस करना पड़ता था जब तक आप ना करें अंधेरा ही रहता था। आमतौर पर होने वाली इस सिचुएशन की वजह से ही सर्किट ब्रेकर का आविष्कार किया गया था ।
MCB क्या है:-
Miniature Circuit Breaker । ये एक ऑटोमैटिक ओं आफ मेकैनिज्म होता है जो तार के एक तरफ को फिक्स रखता है और दूसरी तरफ को मूविंग किया जाता है। एक इलेक्ट्रिक फाल्ट के दौरान सर्किट खुल जाता हे। फॉल्ट खत्म हो जाने पर हम इसे खुद ही ऑन कर देते हैं । MCB की डिजाइन के बारे में ज्यादा जानने से पहले हमें करंट की डायरेक्शन पर थोड़ा ध्यान देना चाहिए। MCB 3 mili second से भी कम समय में एक्टिव हो जाती है जो अल्टरनेटिंग करंट के हाफ साइकल टाइम पीरियड से भी काफी कम है । पूरे एनालिसिस के दौरान करंट के फ्लो को एक ही डायरेक्शन में दिखाना ठीक रहेगा। अब सवाल यह है कि यह सिस्टम एक इलेक्ट्रिक फाल्ट के होने को कैसे पहचानता है।
MCB कैसे काम करता है:-
इसका जवाब यह है कि इसमें सेंसिंग एलिमेंट्स होते हैं, जो ट्रिगरिंग मेकैनिज्म को एक्टिवेट करता है। चलो पहले देखते हैं कि हम एक तेज ट्रिगरिंग मेकैनिज्म को कैसे डिजाइन कर सकते हैं जो खुल जताहै । इस मेकैनिज्म में एक लिवर होता है जिससे एक रैक्टेंगुलर रिंग जुड़ी होती है ।जैसा यहां पर दिखाया गया है।
रैक्टेंगुलर रिंग दो स्प्रिंग और एक सेंट्रल लिवर से कनेक्ट होती है । जैसा यहां पर दिखाया जा रहा है । इस पोजीशन में दोनों ही स्प्रिंग न्यूट्रल स्टेट में है । जब लीवर ऊपर की तरफ मूव करता है तो नीचे वाली स्प्रिंग कंप्रेस होती है और ऊपर वाली स्प्रिंग एक्सपेंड होती है । इन दोनों ही स्प्रिंग का फोर्स आखिरकार रैक्टेंगुलर रिंग के जरिए लीवर तक ट्रांसफर हो जाता है और यह फोर्स ऊपर की दिशा में होगा ।
जैसा कि आप देख सकते हैं शुरुआत में रैक्टेंगुलर स्प्रिंग लीवर के सेंटर से एक नेगेटिव ऑफसेट पर है । रैक्टेंगुलर रिंग पर act करने वाले फोर्स द्वारा प्रोड्यूस किया हुआ Torque clockwise दिशा में होगा । यदि आप लीवर को इस पोजीशन में रिलीज करते हैं तो यह clockwise Torque लीवर को उसकी इनिशियल पोजिशन में वापस ले आएगा । पर अगर आप लीवर को और ऊपर उठाते है तो लिवर का डायरेक्शन पॉजिटिव हो जाता है । इसका मतलब यह है कि एक क्रिटिकल लिमिट के बाद जो टॉर्क है वह काउंटर clockwise दिशा में काम करने लगता है। अब अगर एक बाहरी ट्रिगर लीवर को हल्का सा टर्न करता है तो लीवर का टॉर्क अचानक से clockwise हो जाता है और बिना किसी बाहरी कोर्स के ही सर्किट जल्दी से खुल जाता है।
एक छोटे एंगल के बाद लिवर अपना खुद का Torque उत्पन्न करता है । और फिर किसी भी बाहरी कोर्स को अप्लाई करने की कोई जरूरत नहीं होती । अब केवल एक सवाल है कि फाल्ट होने पर हम इस छोटे इनपुट ट्रिगर या इनपुट मोशन को कैसे जनरेट कर सकते हैं । इसका सबसे बेहतरीन जवाब है..... एक इलेक्ट्रोमैग्नेट की मदद से ।
यह coil पास हो रहे करंट के अनुसार मैग्नेटिक फील्ड उत्पन्न करती है । जैसे करंट बढ़ता है मैग्नेटिक फील्ड और ज्यादा स्ट्रांग हो जाती है । तोड़ा ध्यान दीजिएगा की शार्ट सर्किट के समय करेंट बहुत बड जाता है.... और फील्ड बहुत ज्यादा स्ट्रांग हो जाती है। इस इलेक्ट्रोमैग्नेट के अंदर एक स्प्रिंग पर एक लोहे का सिलेंडर और एक पिन रखी जाती है जो सेंटर से थोड़ी ऑफसाइट यानी हटी हुई होती है । स्ट्रांग मैग्नेटिक फील्ड सिलेंडर को नीचे की तरफ पुल करती है और इस तरह से पी को पुश करती है पी का यह छोटा सा मूवमेंट उसे मेकैनिज्म की इनपुट को ट्रिगर करता है और इसी की वजह से सर्किट खुल जाता है।
आप सोच रहे होंगे साधारण करंट फ्लो होने पर यह सिलेंडर नीचे की तरफ अट्रेक्ट क्यों नहीं होता । ऐसा इसलिए क्योंकि साधारण करंट फ्लो में फोर्स इतना ज्यादा नहीं होता है कि स्प्रिंग की टेंशन को ओवरकोम कर पाए । जब की शार्ट सर्किट दौरान करंट साधारण करंटके मुकाबले 100 गुना बाद जाता है, और यह फोर्स इतना ज्यादा हो जाता है कि सर्किट ही ट्रिप हो जाता है ।
दोस्तों इस फॉल्ट का खतरा भी खत्म नहीं हुआ है । जैसे ही कॉन्टैक्ट्स खोले जाते हैं करंट का बहाना रुकता ही नहीं है । फॉल्ट करंट की value ज्यादा होती है और इसके कारण air डिस्चार्ज हो सकता है । इसका मतलब यह है की करंट हवा के जरिए भी फ्लो हो सकता है । यह सुनने में तो बहुत ही शानदार है पर बहुत खतरनाक अर्क है । इस आर्क को बुझाने के लिए एक कंपोनेंट का इस्तेमाल किया जाता है जिसे अर्क रनर या अर्क शूट कहा जाता है । अर्क शूट parallal plate का अरेंजमेंट होता है । जिन्हें छोटे interval पर अरेंज किया जाता है । जैसे ही कॉन्टेक्ट्स अलग होते हैं यह हैवी फॉल्ट करंट जो एक अर्क की तरह बह रहा होता है टेंपरेचर को बहुत ज्यादा बड़ा देता है , इसीलिए इस आर्क को खतम करना जरूरी होता है । हम जानते है
R proportion to L/A
हम देख सकते है लेंथ बराए तो रेजिस्टेंस बरेगा और एरिया कम किया तो भी । यहां पर हमें हवा के जरिए पास होने वाले करंट की बड़ी हुई रेजिस्टेंस की जरूरत है जिसकी वजह से सर्किट खोलने के बाद contact point की बीच की दूरी को ज्यादा रखा जाता है। क्योंकि हवा गर्म होती है, यह अर्क ऊपर की तरफ उठ जाता है । बाद में इस आग को छोटे हिस्सों में डिवाइड कर दिया जाता है । ताकि उसका area काम हो जाए । बड़ी हुई रेजिस्टेंस के साथ जीरो करंट हो जाने पर अर्क खत्म हो जाता है ।
अब देखते हैं की एमसी दूसरे प्रकार के फाल्ट एक ओवरलोड कंडीशन को कैसे रोकता है।
ओवरलोड तब होता है जब आप एक साथ ही कई सारे instrument का इस्तेमाल करें ।क्योंकि यह सारे अप्लायंसेज हमारे घरों में पैरेलल में कनेक्ट होते हैं । ऐसे सीनरियों में भी करंट बढ़ जाता है । यह भी एक खतरनाक सिनेरियो है जिससे हमें बचाना चाहिए । एक शॉर्ट सर्किट मे करेंट 5 गुना बढ़ जाता है बल्कि एक ओवरलोड मै 2,3 गुनाही बरता है ।
आपको ऐसा लग रहा होगा कि कम ऑपरेटिंग रेटिंग वाले एक अलग इलेक्ट्रोमैग्नेट के इस्तेमाल से इस इश्यू को सुलझाया जा सकता है । पर ऐसा नहीं होगा चलिए देखते हैं क्यों ।
ओवरलोड कंडीशन में इस नई कोयल के साथ समस्या यह है कि अगर आप केवल एक दूसरे इलेक्ट्रिकल अप्लायंस को चालू कर दें तब भी एक्टिव हो जाएगा । Example के लिए फ्लोरोसेंट ट्यूब में स्टार्टअप के दौरान एक इन रस करंट होता है जो लगभग 10 मिली सेकंड के लिए रहता है । और फिर नॉर्मल हो जाता है । इसलिए एक को लो रेटेड इलेक्ट्रोमैग्नेट का इस्तेमाल इलेक्ट्रिकल अप्लायंस शुरू करने पर ही बिना वजह ही ब्रेकर को ट्रिप कर देगा । ओवरलॉड कंडीशन सुलझाने का बेहेतरीन तरीका है Bimetallic strip । ये सेंसर थोड़ा धीमा है और इंटरेस्ट करंट को ऑफसेट करता है क्योंकि यह केवल 10 मिली सेकंड के लिए ही रहता है।
पर अगर ओवरलोड करंट 2 सेकंड या इससे ज्यादा के लिए रहता है तो यह एमसी को ट्रिप कर देता है । बाय मैटेलिक स्ट्रिप में जैसे ही करंट बढ़ता है तो हिट के बजाएसे यह bent होने लगते है । ए घटना सी शेप लीवर को और फिर मुख्य लीवर को नीचे की तरफ पुश करती है और वह फिर कांटेक्ट को खोल देते हैं। बस इसे तरहसे एक MCB ओवरलोड और शर्ट सर्किट से हमारे घरों करो बाकी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस प्रोटेक्ट रेहेटा है।
Types of MCB :-
MCB का इस्तेमाल अलग अलग जगा अलग अलग लोड के लिए किया जाता है। इसीलिए MCB बोहोत टाइप के होता है।
1) Type -B
2) Type-C
3) Type-D
4) Type-K
5) Type-Z
तो हम जान चुके है MCB क्या है। कैसे काम करता है। और भी कुछ जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे।
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