Intruduction:-
इस आधुनिक दुनियां में जाने के कारण inverter का रोल बेहद जरूरी हो गया है । Inverters DC power को AC पावर में करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ।
Uses:-
सबसे पहले तो बता दे कि इनवर्टर बहुत सारी जगह पर यूज होता है । जैसे आपके घरों में हो गया । जब गवर्नमेंट की बिजली आयेगी ठीक उसे समय इनवर्टर क्या करेगा, बैटरी को चार्ज करने लगेगा । और जब हमारे घरों के बिजली चली जाए तो इनवर्टर बैटरी से पावर लेकर हमारे घरो की चीजों को चलाएगा । यानी की बैटरी के जरिए हमारे घर की चीज चलेगी । इसके अलावा अगर आप इलेक्ट्रिक car को जानते हैं तो इलेक्ट्रिक car भी आज की तारीख में बैटरी से ही चलती है । और बैटरी से अगर उसको पावर चाहिए तो इनवर्टर की सर्किट लगानी पड़ती है । तो यह भी इसके अंदर भी एक प्रकार का इनवर्टर लगाया था जो कि आजकल टेस्ला car मे भी यूज हो रहा । इनवर्टर सर्किट हमारे solar panels मे भी यूज हो रहा है । अगर समझो सुबह के टाइम पर सोलर पैनल्स आपके घर की चीजों को चला रहा है उसे समय समझो इनवर्टर बैटरी चार्ज हो रहा है । रात के समय समय क्या होगा इस बैटरी के जरिए इनवर्टर पावर लेगा और आपके घर की चीजों को चलाएगा । अल्टरनेटिंग करंट समय समय पर अपनी दिशा को बदलता है । इस वजह से एक cycle के दौरान अल्टरनेटिंग करंट की एवरेज वैल्यू जीरो होती है। Inveter genereally DC current को AC मे कन्वर्ट करते है। हम जानते है एक एसी करेंट को डीसी में करने के लिए Rectifier की मदद हम कर सकते है। लेकिन डीसी को AC मे करने के लिए कुच अलग equiptment की हेल्प लेना होगा ओर एक circuit बनाना होगा। चलो दखते है।
जो पुराने वाले इनवर्टर रेहेता था वो अपने आउटपुट के रूप में simple square wave current को ही प्रोड्यूस करते थे । तो पहले हम square wave current बनाएंगे फिर उसे हम sin wave मे बदलनेका तरीका बताएंगे । चलिए देखते है कैसे हम Square wave alternating current प्रोड्यूस किया जाता है ।
∆Mechanism:-
1) Circuit:-
ए जो सर्किट है जिसमें 4 switch और एक इनपुट वोल्टेज है। इस सर्किट को Full wave Bridge inverter कहा जाता है । Point A और B के बीच आउटपुट को ड्रॉ किया जाता है । इस सर्किट की एनालिसिस को आसान बनाने के लिए पहले इस असली लोड को एक hypothetical लोड के साथ रिप्लेस करते हैं । जब switch S1 और S4 ऑन होते हैं और S2 और S3 ऑफ होते हैं तो करेंट का direction कुछ ऐसा होगा । अब इसका उल्टा करते हैं और करंट के फ्लो को चेक करते हैं। यह क्लियर है कि इस केस में करंट का फ्लो ऑपोजिट है, और साथ ही पूरे लोड पर आउटपुट वोल्टेज भी।
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Condition 1 |
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Condition 2 |
इससे होगा क्या । जब हमने S1 और S4 को ऑन किया तो square wave का 1 cycle का हाफ cycle complete होगा। Aur जब S2 और S3 से ऑन किया तो दूसरा हाफ होगा । हम सबको पता है कि जो AC सप्लाई हमारे घरों में पाई जाती है वोह 50 Hz होता है । इसका मतलब है कि हमें एक सेकंड में switch को 100 बार ऑन और ऑफ करना होगा । जो क्योंकि मैन्युअल या किसी भी मैकेनिक switch की मदद से मुमकिन नहीं है । हम इस पर्पस के लिए मोफसेट ( Mofset ) जैसे semiconductor switch को use करते हैं ।
2) Mofset:-
Mofset एक electronic device है। आसान वसमे transistor का use करते है । ए 1 sec के अंदर हजारों बार ऑन ओर ऑफ हो सकते है । कंट्रोल सिग्नल्स की मदद से हम ट्रांजिस्टर को आसानी से ऑन और ऑफ कर सकते हैं। Square wave output , sine wave आउटपुट का एक हाई approximation है । ओल्ड इनवर्टर इसी प्रकार का wave प्रोड्यूस करते थे । इसलिए जब आप स्क्वेयर वेव पावर को उसे करके अपने इलेक्ट्रिक फैन या किसी भी और अप्लायंस को चलते हैं तो आपको एक हमिंग आवाज आती है । यह इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट को गरम भी कर देता है। आधुनिक इनवर्टर pure sinusoidal output प्रोड्यूस करते हैं । चलो दखते है ए कैसे काम करता है । इस purpose के लिया Pulse width Modulation नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है ।
3) PWM :-
पल्स विद माड्यूलेशन का लॉजिक काफी सिंपल है । उसके लिए यूज किया गया जो कंपोनेंट है वह है NOT gate जिसको हम लोग comparators बोलते हैं । हम दो comparators को यूज करते है । Comparators का सिगनल को Triangle wave में बदल देगा और जो आउटपुट मिलेगा वोह एक साइन वेव मिलेगा ।
हम देख सकते है एक comparators को left और दूसरे को right साइड लगा हुआ है। ए transisitor को off और on करने के लिए मदद करते है। अभी होता क्या है , जब मॉसफेट बंद कंडीशन में रहता तो 0 ओर जब मॉसफेट चालू होता तो 1 । तो इसे 0 1 0 1 ऐसे signal बनाने के लिए काम करता है ।
तो कॉम्पेरेटर्स से जो आउटपुट मिलेगा A ponit पर वो कुच इस तरीके से दिखाई देगा और B point में। पॉइंट A पर जो वेव है उसका gap में बहुत चेंजेज है। सबसे पहले आउटपुट यह वाला है पॉइंट ए पर पॉइंट बी पर आउटपुट कुछ ऐसा मिल रहा है ।अगर यह दोनों को कांबिनेशन को difference करो तो आपको आउटपुट कुछ इस प्रकार से मिलेगा ।
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Voltage variation |
अगर आप ध्यान से देखोगे तो यह ऊपर वाला यानी कि साइन वेव का ऊपर वाला हिस्सा है । और ये साइन वेव का नीचे वाला हिस्सा है । इस प्रकार से आपको आउटपुट मिलेगा इससे होगा क्या मालूम है अगर आप इसको ध्यान से समझोगे ना तो आपको आउटपुट कुछ ऐसा मिल रहा है । यह हमारा नॉर्मल जो साइन वेव है । यह PWM सिग्नल जो मैं आउटपुट में मिल रहा है । तो अगर आउटपुट को compare करेंगे तो कुछ इस प्रकार से आपको साइन वेव मिलता है । तो अगर यह रेड लाइन देखोगे एकदम pure sine wave मिल रहा है । यह यहां पर आपको थोड़ा सा distortion मिल रहा है। लेकिन साइन वेव के जैसा ही सिग्नल आ रहा है ।
तो अभी तक तो एक काम हो गया। हमने square wave को sine wave में बदल दिया comparators की मदद से। अब हम sine wave का जो distortion है उसे हटाना होगा मतलब हमे pure sine wave करना होगा। इसके लिए हमे मदद लेते है capacitors और inductor का।
😌 Thank you so much 😌
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