MRI Machine 3 टेस्ला पावर की हो सकती है । इस मशीन के पास में इतना स्ट्रांग मैग्नेटिक फील्ड होता है कि आप इसके पास में लोहे की कोई वी चीज ले जाओ तो वो खीच लेता है। एमआरआई मशीन शरीर में कोई भी प्रॉब्लम है तो यह उसका पता लगा लेती है। मशीन के बीच मे एक बोर्ड होता है , इसी के अंदर पेशेंट के सिर को रखा जाता है,और चारों तरफ यह एक रिंग दिखाई दे रही है इसी का पूरा खेल है ।
इस रिंग के अंदर एक super conducting magnet है जो एक परमानेंट magnet ही होती है ।लेकिन इसका बिहेवियर थोड़ा अलग टाइप का है । मैग्नेट के अंदर एक तेल टाइप वाइंडिंग होती है जो lithium या titanium की बनी होती है। इस कोयल का resistance zero होता है लेकिन फिलहाल इस कोयल के पास में कोई मैग्नेटिक फील्ड नहीं है। तो सबसे पहले इस कोयल को चार्ज किया जाता है। और जैसे ही यह चार्ज होगी तो कोयल के अंदर करंट सर्कुलेट करने लग जाएगा और यह करंट अपने आसपास एक मैग्नेटिक फील्ड जनरेट करेगा। लेकिन यह फील्ड ज्यादा स्ट्रांग नहीं होगा क्योंकि करंट सर्कुलेट होगा तो binding का temp बढ़ेगा और रेजिस्टेंस बीच में आ जाएगा। तो रेजिस्टेंस को जीरो मेंटेन रखने के लिए इस कोयल को लिक्विड हीलियम की cooling provide किया जाती है जिसका टेंपरेचर - 261 डिग्री सेंटीग्रेड होता है । और यह लिक्विड हीलियम कोयल के टेंपरेचर को zero डिग्री सेंटीग्रेड पर रखती है । जिसकी वजह से यह कोयल सुपरकंडक्टिंग स्टेज में आ जाती है । और इसके पास में एक पावरफुल स्ट्रांग मैग्नेटिकफील्ड हो जाता है। इस कोयल का रजिस्टेंस जीरो है तो इसको हमें बाहर से कोई भी सप्लाई देने की जरूरत नहीं है। एक बार इस कोयल को चार्ज कर दो ,और जब यह सुपर कंडक्टिंग स्टेज पोहच जाता है तो इसका मैग्नेटिक फील्ड लाइफटाइम तक रहेगा । क्योंकि रेजिस्टेंस पावर को लॉस करता है , और यहां पर रेजिस्टेंस ही जीरो है। और इसके बाद में मैग्नेट को पैक कर दिया जाता है।
हमारी बॉडी में 60% पानी होता है । और पानी में हाइड्रोजन एटम होते हैं । और यदि हम जिंदा है तो इन हाइड्रोजन एटम के पास में कुछ ना कुछ एनर्जी भी होगी । लेकिन यह अपनी मर्जी के मालिक होते हैं और रैंडम अपनी energy release करते रेहेते है । जब atom strong मैग्नेटिक फील्ड आयेंगे तब इन सभी atoms को लाइन में सेट कर देगा। यह जो मैग्नेट होती है ना, इसका मैग्नेटिक फील्ड homogenious होता है। जिसका मतलब है मैग्नेट का फील्ड बॉडी के हर एक atoms में same force लगता है।
अब आता है मशीन का दूसरा पार्ट जिसका नाम है Radio Frequency कोयल । जब ब्रेन की scanning होता है तो हमारे ब्रेन के एकदम पास में कुछ इस टाइप का कंपोनेंट सेट किया जाता है जिसको रेडियो फ्रीक्वेंसी कोयल बोलते हैं । ए कोयल brain के अंदर रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल भेजती है। लेकिन लगातार नहीं भेजती है एक बार पल्स भेजती है फिर वापस इसको बंद कर दिया जाता है।
जैसे मन कर चलो एक hydrogen atom है , और randomly अपनी एनर्जी रिलीज कर रहा है नेचुरल अर्थ की ग्रेविटी के हिसाब से । तो सबसे पहले सुपर कंडक्टिंग मैग्नेट का फील्ड इस पर लगाते हैं तो यह प्रॉपर shape में आ जाएगा। अब इस एटम पर रेडियो फ्रीक्वेंसी की पल्स डालते हैं 90 डिग्री पर rotate वाली । और यह पल्स क्या करेगी इस ,हाइड्रोजन एटम को फ्रीक्वेंसी को बंद कर देते हैं । अब यह हाइड्रोजन एटम वापस जो सुपर कंडक्टिंग मैग्नेट का फील्ड है उसके साथ में aline होने की कोशिश करेगा। और जब यह वापस अपनी पोजीशन पर आने लगेगा तो कुछ ना कुछ एनर्जी जो रेडियो फ्रीक्वेंसी कोयल ने दी थी, उसको वापस रिलीज करेगा। और रेडियो फ्रीक्वेंसी कोयल का रिसीवर हमारे दिमाग के एकदम पास में लगा रहता है, तो जैसे ही सभी एटम्स अपनी एनर्जी रिलीज करते हैं तो रेडियो फ्रीक्वेंसी कोयल का रिसीवर इस एनर्जी को sence कर लेता है । और यह जो एनर्जी फ्रीक्वेंसी वापस आई है ना, इसको resonance frequency बोलते हैं ।
अब मन कर चलो दिमाग के इस पॉइंट में कोई blood clot जमा हुआ है और ब्लड क्लोट के पास में पानी के atom ज्यादा मात्रा में होंगे । जैसे एक हेल्थी ब्रायन है ,और एक में ब्लड क्लोट जमा हुआ है। तो यहां पर जो इतने सारे हाइड्रोजन एटम है , वापस जो फ्रीक्वेंसी रिलीज करेंगे उसका behaviour अलग होगा। कुछ एटम जल्दी एनर्जी रिलीज करेंगे तो कुछ देर से ।तो जो radio frequency coil है उसे पता चलता है एहसे कुछ अलग frequency आ रहा है और ज्यादा मात्रा में आ रही है। रेडियो फ्रीक्वेंसी कोयल में बेसिकली inductor और capacitor होते हैं जो वापस मिल रही है फ्रीक्वेंसी से चार्ज और डिस्चार्ज होकर एक ग्राफ बनाते रहते हैं । लेकिन अभी भी डॉक्टर को यह पता नहीं चलेगा की प्रॉब्लम है कहां पर । बस इतना पता चलता है कि एक प्रॉब्लम फाइंड आउट हुई है। क्योंकि हमें एग्जिट इमेज बनानी है ताकि जी भी पॉइंट पर प्रॉब्लम है उसको ठीक किया जा सके ।
तो फिर मशीन का तीसरा कंपोनेंट gradient coil सामने आता है। और gradient coil इमेज बनाने में हेल्प करती है। ग्रेडियंट कोयल इस बोर में इस पोजीशन पर लगी रहती है। इन दोनों कोयल में करंट सप्लाई ऑपोजिट डायरेक्शन में दी जाती है । जिसे कोयल के पास में अपना फील्ड जनरेट होता है। अब वैसे तो यहां पर इतनी सारी फील्ड लाइन जनरेट होती है लेकिन हम एक ही फील्ड लाइन की बात करेंगे। इसका मैग्नेटिक फील्ड तो जो मैन मैग्नेटिक फील्ड है इस डायरेक्शन में है तो यह दोनों add हो जाएंगे। लेकिन इधर वाली कोयल का फील्ड मैन फील्ड के ऑपोजिट डायरेक्शन में है । लेकिन यदि आप इन दोनों कोयल के center point में देखते हो तो एह पर दोनों मैग्नेट का फील्ड एक दूसरे के ऑपोजिट डायरेक्शन में है तो cancel होके zero हो जाएगा । तो हम कह सकते हैं कि सेंटर पॉइंट में जो बड़ी मैग्नेट का फील्ड है वही अवेलेबल है । यह दोनों साइड वाली कोयल का फील्ड जीरो हो गया ।
हैहम मान लेते हैं सेंटर पॉइंट पर बड़ी मैग्नेट का जो फील्ड है उसकी स्ट्रैंथ एक टेस्ला की है । अब इस केंद्र बिंदु से जैसे-जैसे हम इधर जाएंगे तो यह फील्ड बढ़ता जाएगा 1.1 टेस्ला 1.2 टेस्ला 1.3 टेस्ला क्योंकि इधर वाली ग्रेडियंट कोयल और मैन फील्ड जोड़ रहे हैं । और इसके अपोजिट साइड में ठीक ऐसे ही फील्ड काम हो रहा है। अब यह जो हमें एक लाइन मिली है यह z- axis की लाइन है । इस पॉइंट पर कोई प्रॉब्लम है तो मशीन को पता लगेगा कि z - एक्सिस में 1.2 टेस्ला का जहां पर मैग्नेटिक फील्ड है उधर से frequency कुछ अलग टाइप का आ रहा है । ठीक इसी ही x -axis और y -axis के लिए भी ऐसी कोयल लगी रहती है।
तो इस तरीके से ग्रेडियंट कोयल तीनों एक्सिस में एक value निकलती है में मैग्नेटिक फील्ड के डिस्टरबेंस को reference मानते हुए एक प्रॉपर इमेज बनाकर देती है । MRI जब किसी पेशेंट की होती है तो 30 से 40 मिनट लग सकते हैं क्योंकि रेडियो फ्रीक्वेंसी multiple time भेजी जाती है एक एग्जैक्ट इमेज बनाने के लिए । इस मशीन के जितने साइड इफेक्ट होते हैं, वैसे तो इसके कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है । लेकिन यदि आपके कोई past में सर्जरी हुई है और आपकी बॉडी में कोई लोहे का पार्ट डाल दिया है तो आपको डॉक्टर को पहले से ही बता देना है । कुछ भी नहीं छुपाना है । जब मशीन के पास में जाओगे तो मशीन आपकी बॉडी को फाड़ के लोहे का टुकड़ा बाहर निकाल लेगी । तो जो आपसे डॉक्टर पूछते हैं सच सच बता देना।
Post a Comment