Intruduction:-
Photo Diode एक Pn junction diode ही होता है । इसको reverse bias मे कनेक्ट किया जाता है । Photo diode light energy को electric energy मे कन्वर्ट करता है । जब pn junction पे लाइट इंसिडेंट होता है तब reverse bias saturated current बहुत ही बढ़ जाता है ।
जब पीएन जंक्शन डायोड पर बाहर से लाइट नही गिरता तब पी जंक्शन डायोड रिवर्स बॉयस में बहुत ही कम मां के रिवर्स करंट देता है । इसे Dark Current कहा जाता है । Observe किया गया, जितने amount of current फ्लो होगा वोह directly proportional होगा intensity of the light । लेकिन इंसिडेंट photons का energy अगर electron holes pair को फ्री करनेको सक्षम नहीं हुआ तो photodiode काम नहीं करेगा ।
Working :-
अब यहां पर हम एक लाइट को इंसिडेंट करवाता है । तो light के साथ energy भी आ रहि है ।
According to the planck
E=hf ( h=planck constant, f= frequency of the light )
h= 6.63 × 10-³⁴ js
एक photons के लिए 1 hf , 2 photons के लिए 2 hf ऐसे चलता है । Depletion layer पर बहुत सारे neutral atoms है ( हम जानते है n side पर जो इलेक्ट्रॉन है वोह p साइड पर आके होल्स को neutral करते है और depletion layer बनाता है ) । They are not create any charge because they are not charge carrier । तो हम कहे सकते है ये एक unused department है । अब pn junction Diode को special बनाने के लिए junction पर एक window लगी जाति है । एहापार light incident होता है । जब light depletion layer पर incident होता है, तब neutral atoms exited होता है और इलेक्ट्रॉन बाहर निकल जाता है, साथ ही holes। अंदर के E.F के कारण होल्स इलेक्ट्रिक फील्ड के डायरेक्शन पर इलेक्ट्रॉन ऑपोजिट डायरेक्शन पर चला जाता है । इस वजह से दोनों साइट पर चार्ज करियर बहुत बढ़ जाता है । अगर charge carrier बढ़ गया तो circuit पर पहले से ही एक natural current flow कर रहा है तो वो भी बढ़ जायेगा । तो इसीलिए इस पीएन जंक्शन डायोड को रिवर्स बायस मै कनेक्ट किया जाता है ।
I=neva ( n= no of charge density,
e= charge of electron
V= drift velocity
A= area )
अगर चार्ज करियर बहुत बढ़ जाता है तो करंट भी बहुत बढ़ जाता है । और इस तरीके से फोटो डायोड काम करता है ।
Circuit Symbol :-
Uses:-
Photodiode बहुत सही जगह पर यूज होता है जैसे की CD (compact Disk ) player , Remote Control, Smoke Detector , Cash Counter etc । और सबसे बड़ा उसे होता है Solar Cell मे ।
😃Solar cell :-
Solar cell light energy को एक्सेप्ट करता है और उसको electric energy मे कन्वर्ट करता है। हम सभी जानते है सोलर सेल भी एक पीएन जंक्शन डायोड है । लेकीन यह इस तरह का पीएन जंक्शन डायोड होगा जिसका कंस्ट्रक्शन कुछ अलग होगा । It's type of battery , it produce small amount of current । अगर सोलर सेल को series या parallel मे कनेक्ट किया जाए तो, तो करंट बहुत बढ़ जाता है।
Construction:-
इसमें भी एक n type और एक p type लेयर होगा । पर जिस साइट को sun के सामने रखना होगा उसे थोडा पतला करना होगा और दूसरी साइड को मोटा करना होगा । कुछ इस तरीके से ।
क्योंकि sun से जो लाइट आ रही है जिसके पास एनर्जी है , इन द फॉर्म ऑफ फोटोन ,तो वो जो एनजी है इस डिप्लीशन लेयर पर आएगा । क्योंकि अगर वह डिप्लीशन लेयर पर आएगा, तो वोह unused depletion लेयर का यूज हम कर सकते है । उस न्यूट्रल एटम्स को हम ब्रेक कर सकते है । इसी वजह से हम इसे बहुत Thin रखते है । अगर हम इसे बहुत मोटा कर देते , इसके जैसा कर देते तो सन की एनर्जी आती और इसे स्ट्राइक करते और penetrate नही कर पाते । उसके जो बोहोत सारे intensity है फोटोन के रूप मे वोह इसके अन्दर रहे हुआ चार्ज करियर के साथ colloide करके डिस्ट्रॉय हो जाते । तो इसीलिए पहले लेयर को पतला और दूसरी लेयर को थोड़ा मोटा करता है ।
अब जो एनर्जी आया सनलाइट से वह अनयूज़्ड जो न्यूट्रल एटम है उसको स्ट्राइक करेगा और न्यूट्रल्स एटम्स इलेक्ट्रोंस ओर होल्स मे कन्वर्ट हो जाएगा । फिर इलेक्ट्रिक फील्ड के कारण इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रिक फील्ड के ऑपोजिट डायरेक्शन पर यानाकि n साइड पर हॉल्स इलेक्ट्रिकल का डायरेक्शन यानकि p side पर चला जाएगा ।
यहां पर जो n लेयर है पतला वाला अब इसके surface पर बहुत सारे इलेक्ट्रॉन आ गया लेकिन question है कि .....
जो इलेक्ट्रॉन है वह क्या easily semiconductor पर चल सकते है 🤔🤔🤔
No । क्योंकि है तो वह n टाइम सेमीकंडक्टर, पर सेमीकंडक्टर तो है, कंडक्टर तो नहीं है ना । इसीलिए इलेक्ट्रॉन को ईसिली सेमीकंडक्टर पर चलने के लिए हम उसे करते हैं एक मैटेलिक रोड । जब भी सोलर सेल बनाने जाते है तो हमेशा जिस तरफ से source of energy है वहा पर हमेशा एक Metal finger Rod लगाया जाता है ।
Actually ए एक conducting rod है जो easily इलेक्ट्रॉन को ऑब्जर्व कर सकते है । अगर इस कंडक्टिंग रोड्स को एक वायर के थ्रू ऐसे यहां पर p वाले साइट को ऐसे कनेक्ट कर दो । और यहां पर एक नॉर्मल रेजिस्टेंस या फिर आप कह सकते है एक नॉर्मल बल्ब जोड़ देते है । हम देख सकते है इस वायर से करेंट फ्लो हो रहा है । और जो voltage हम पा रहे उसे हम photovoltage कहते है ।क्यों ये voltage हम फोटोन के वाजसे पा रहे है इसीलिए । यहपे हमने कोई biasing नही किया लेकिन photodiode पर किया था । Solar cell पर से हमे 0.5 तो 0.6 V पाते है ।
क्या इससे ज्यादा voltage पा सकते है🤔🤔🤔
बिलकुल पा सकते है । अगर surface काफी बडा करदे , तो डिप्लेशन लेयर काफी बड़ा होगा , ज्यादा से ज्यादा जितनी एनजी absorb होंगे और उतना ज्यादा करेंट फ्लो होगा । हमे ध्यान रखना होगा जो एनर्जी abosorb होंगे वोह forbidden energy ( Eg ) से ज्यादा होना चाहिए।
Conclusion:-
कभी-कभी Concave mirror की मदद से सनलाइट को फोकस करके बहुत ही काम एरिया में फोटॉन्स को इंसिडेंट करते है । इससे बहुत ही काम परिमाण सोलर सेल का यूज होता है । पर इसके दौरान टेंपरेचर इतना बढ़ जाता है कि सिलिकॉन के क्रिस्टल में बहुत दिक्कत होता है । इसीलिए अभी Galium Arsenide ( GaAs) सेमीकंडक्टर को उसे किया जाता है।
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