Intruduction:-
Modified electronics मे डिजिटल सर्किट का जोगदान है ए काफी बड़ा है । Transistors का आविष्कार ने मानव सभ्यता में ऐसे आमूल परिवर्तन लाए हैं जैसे किसी भी अन्य तकनीक में नहीं किए हैं । ए transistors के existance के वजासे पॉसिबल हुआ है । आपका जो कंप्यूटर है और मोबाइल फोन इसका जो बेस है वोह इंट्रिगेटिव सर्किट है। और इंटीग्रेटिव सर्किट बनता हैं logic gate से resisitors से , और भी कुछ। और ए तभी सम्वाब हुआ जब transistor अबिस्कर हुआ।
Types of Transistor :-
आजकल Transistor सब जगाओ पर यूज होता है। बेडिकली transistor 2 - type का होता है।
- BJT (Bipolar Junction Transistor)
- FET (Field Effect Transistor)
- P-N-P Transistor
- N-P-N Transistor
P-n junction:-
Pn junction p type और n type semicomductor से बना होता है। जब सिलिकॉन या जर्मेनियम के क्रिस्टल के अंदर 5 valency वाला Arsenic या Phosphorus को dopping किया जाता है तब n-type सेमीकंडक्टर बनता है। सिमिलरली जब pure semiconductor का अंदर 3 वैलेंसी वाला Boron या Aluminium एलिमेंट डोपिंग किया जाता है तब p type सेमीकंडक्टर बनता है । अब जब हम दोनों टाइप सेमीकंडक्टर को एक साथ जोड़ देते हैं तो हमें पीएन जंक्शन मिलता है । एन टाइप सेमीकंडक्टर में बहुत सारे फ्री electrones रहता है । और पी टाइप में बहुत सारे hole रहता है । जब हम दोनों को एक साथ जोड़ देते हैं तब एन टाइप का इलेक्ट्रॉन पी टाइप के होल को न्यूट्रल करता है और पी टाइप के semicondutor में जो होल है वोह इन टाइप सेमीकंडक्टर के इलेक्ट्रॉन को न्यूट्रल करता है। इसकी वजह से p-n junction के मध्यतल में एक लेयर बन जाता है जिसे हम Depletion layer केहेत है । इसको potential barrier भी कहा जाता है। पीएन जंक्शन का और एक नाम है जिसको हम Diode कहते हैं । ए केवल Forward Bias में ही काम करता है Reverse bias मे काम नहीं करता ।
ठीक इसी तरह ट्रांजिस्टर में ऐसा ही होता है। चलो अब जानते हैं ट्रांजिस्टर कैसे काम करते है :----------
[Construction]:-
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N-P-N and P-N-P Transistor |
Arrow जहा पर है वोह emmiter और base कहे लायेगा कहे लायेगा । बेस हमेशा middle मे रहित है ।अगर arrow अंदर की तरफ है तो pnp transistor। Asan वसामे प्रवेश मतलब अंदर आओ tk pnp transistor। Aur अगर arrow बाहर की तरफ तो npn transisitor।
2) Working process:-
Emitter को हाइली dopped किया जाता है । इसमें बहुत बहुत सारे फ्री इलेक्ट्रोंस होंगे बहुत बहुत सारे इस तरह से कलेक्टर में भी बहुत सारे फ्री इलेक्ट्रोंस होंगे । लेकिन इतना ज्यादा नहीं होगा । Base मे फ्री इलेक्ट्रोंस तो नहीं होंगे यहां पर बहुत सारे holes होंगे। अगर इसका डोपिंग लेवल हम बढ़ा देते हैं तो ट्रांजिस्टर अपना काम ही नहीं करेगा ।
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Pic 1 |
अब हम transistor को एक बैटरी के साथ जोड़ दिया । लेकिन इस condition मे हम जानते है n-side को निगेटिव टर्मिनल के साथ जोड़ दे तो forward bias मे होंगे । दूसरी साइड reverse bias मे होंगे । लेकिन करेंट फ्लो नही होगा । इसीलिए base के साथ एक बैटरी को कनेक्ट किया जाता है । इस कंडीशन में electric field ( EF )का directon कुछ एसा होता है ।
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Pic 2 |
हम जानते है EF ke opposite direction मे इलेक्ट्रॉन फ्लो होता है । तो कुछ इलेक्ट्रॉन emmiter से बाहर निकेलके पहले वाली potential barrier ( PB ) को तोड़के 2 no battery से होकर चला जायेगा । और कुछ इलेक्ट्रॉन के पास highly Kinetic Energy ( KE )होता है । KE के होने के कारण और base का dopping लेवल बोहोत काम है , वोह दूसरी वाली PB को तोड़के collector मे पोहाच जायेगा। और दूसरी battery की पॉजिटिव टर्मिनल से attract होके करेंट बेहेना चालू हो जायेगा । 2 no battery जोड़ने से पहले कुछ इलेक्ट्रोन एहासे बाहर चला जायेगा तो ए पॉजीटिव पोटेंशियल मे चला जायेगा । लेकिन उसे हम करेंट का बहना नही केहेंगे। जब extra electron आएगा तब ए negative potential मे आ जायेगा। क्यूंकि वैसे तो ये न्यूट्रल था ।
अगर हम बेस की थिकनेस को बड़ा देते है तो क्या होगा 🤔
EF कुछ इस तरीके से हो रहा है ( pic 2 ) । जो Emitter के electron है वोह कलेक्टर तक पोहछही नही पाएगा । क्योंकि थिकनेस बोहोत है । इसके अलावा अगर हम dopping लेवल बड़ा देते हो तो बोहोत सारे holes हो जाएंगे और इलेक्ट्रान को अपनी तरफ ही खींचेंगे वो वहा तक नही पोहॉच पाएंगे।
Transistor as an Amplifier:-
हमने जो इलेक्ट्रिक फील्ड सेट किया है ड्यू टू बैटरी इसके वजसे कुछ इलेक्ट्रान 2 no battery मे पोहछ रहा है। लेकिन ए EF कुछ certain amount of electrons को अट्रेक्ट करेगा मानले। तो मोस्ट ऑफ़ द एलेट्रॉन collector पर चले जायेगा। और करंट 1 no battery पर फ्लो करने लगेगा। I1>>>I2 बड़ा होगा । करेंट को amplify करेंगे। अगर अप 2 no battery की वोल्टेज बड़ा दे , तो भी I1>I2 ।
बहुत कम इलेक्ट्रॉन 2no battery तक पोहाछ पाएंगे। ज्यादा तार इलेक्ट्रान 1 no battery की इस तरफ आयेगा , इस collector साईड मे । ऐसे ही ट्रांसिस्टर को amplify करता है ।
😊Thank you so much😊
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