-: Intruduction :-
इंडक्टर एक पैसिव इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट है । Inductor बेसिकली की इंसुलेटेड वायर का कोयल है जो ऐसे लिपटा हुआ जाता है । ए किसी इलेक्ट्रिकल सर्किट का वह भाग है जो अपने मैग्नेटिक फील्ड में ऊर्जा का संग्रह करता है ऐसे तुरंत छोड़ भी सकता है । आगे हम देखेंगे कि यह ऐसा कैसे करता है ऊर्जा को संग्रह करके तेजी से छोड़ना एक महत्वपूर्ण गुण है और इसलिए हम इसका उपयोग सभी तरह के सर्किट में करते हैं ।
-: Concept :-
पहले कल्पना कीजिए कि कुछ पाइपों से पानी बह रहा है । इसमें एक पंप है जो इस पानी को धक्का दे रहा है । मान लीजिए यह पंप बैटरी है और पाइप हमारे तार हैं । आगे पाइप दो शाखों में बढ़ जाती है । पाइप की एक शाखा में रिड्यूसर लगा हुआ है यह रिडक्शन पानी के बहने को मुश्किल बना देता है । तो यह हमारे इलेक्ट्रिकल सर्किट का रेजिस्टेंस हो गया । दूसरी शाखा में water wheel बना हुआ है । इसमें बहता हुआ पानी इसे घुमाता है । क्योंकी wheel बहुत भारी है तो इसे गति में लाने के लिए पानी को लगातार दबाव बनाते रहना होगा और इसे घूमने में थोड़ा समय लग जाएगा । तो यहां हमारे इंडक्टर की तरह हो गया । जब हम पंप चालू करते हैं तो पानी बहने लगता है और यह वापस पंप की तरफ जाने की कोशिश करता है क्योंकि यह एक बंद लूप है । बिल्कुल वैसे ही जैसे बैटरी में एक तरफ से निकलने वाले इलेक्ट्रॉन दूसरी तरफ से वापस आने का प्रयास करते हैं ।
अपने पॉजिटिव से नेगेटिव की तरफ इलेक्ट्रोनो का एक पारंपरिक प्रवाह देखा होगा । पानी बहकर शाखों की तरफ जाता है और अभी से निर्णय लेना होता है कि यह किस शाखा में जाए । पानी wheel को धक्का लगाता है लेकिन उसे घूमने में थोड़ा समय लगेगा । Wheel पानी मे कुच resistance पैदा करते है जो उसमें से बहना मुश्किल हो जाता है , और पानी इसके बजाय रिड्यूसर की तरफ चला जाता है । क्योंकि उसमें से वह सीधा निकल सकता है और पंप तक वापस जाना आसान हो जाता है । क्योंकि पानी wheel को लगातार धक्का दे रहा है । व्हील की गति बढ़ती जाएगी जब तक यह अधिकतम गति तक नहीं पहुंच पाती । तब तक व्हील का रेजिस्टेंस लगभग शून्य हो जाता है । और इसलिए अपनी रिड्यूसर के मुकाबले इस रास्ते से आसानी से बह सकता है ।
🟤पानी का रिड्यूसर के रास्ते से बहन लगभग बंद हो जाएगा और व्हील में से होकर गुजरने लगेगा , जब हम पंप बंद कर देते हैं तो सिस्टम में और पानी नहीं जाएगा । लेकिन उनकी wheel बहुत तेजी से घूम रहा था तो inertia के कारण यह अचानक से नहीं रोक सकता यह घूमता रहेगा । अब यह पानी को आगे धक्का देगा और पंप की तरह काम करना आरंभ कर देगा । पानी लूप में तब तक अपने आप बेहेता रहेगा जब तक पाइप का resistance or reducer पानी के फ्लो को इतना धीमा ना करदे की व्हील का घूमना बंद हो जाए । इस प्रकार हम पंप को चालू और बंद कर सकते हैं और water wheel 💦बहुत थोड़ी देर के अवरोध के दौरान भी पानी का बहाव जारी रखेगा ।
🟤जब हम इंडक्टर को किसी रेजिस्टिव लोड के साथ parallel में जोड़ते हैं जैसे की लैंप में तो बिल्कुल ऐसी स्थिति बनती है ।
यह वैसा ही सर्किट है जैसा अभी हमने देखा बस यह अधिक सफाई से जोड़ा गया है । जब हम सर्किट को पावर देते हैं तो इलेक्ट्रॉन पहले लैंप में गुजरेंगे और उसे पावर देंगे और बहुत थोड़ा करंट ही इंडक्टर से गुजरेगा । क्योंकि शुरुआत में इसका रेजिस्टेंस बहुत अधिक होता है । बाद में रेजिस्टेंस घटेगा और अधिक करंट प्रवाहित होने लगेगा । अंत में इंडक्टर का रेजिस्टेंस लगभग खत्म हो जाएगा और इलेक्ट्रॉन पावर सोर्स की तरह बहाने लगेंगे और लैंप बंद हो जाएगा । जब हम पावर सप्लाई को बंद कर देते हैं तो इंडक्टर इलेक्ट्रॉन को लूप में तब तक धक्का देता रहेगा जब तक रेजिस्टेंस ऊर्जा को खत्म नहीं कर देता ।
-: Working functions :-
जब हम किसी तार में इलेक्ट्रिकल करंट देते हैं तो यह अपने चारों तरफ मैग्नेटिक फील्ड पैदा करता है । हम तार के आसपास कंपास रखकर इसका पता लगा सकते हैं । जब तार में से करंट बहेगा तो कंपास हिलेगा और मैग्नेटिक फील्ड की सीड में आ जाएगा ।
चलते हैं तो कंपास की दिशा भी बदल तार में से करंट रहेगा तो कंपास मिलेगा और मैग्नेटिक फील्ड की स्पीड में आ जाएगा जब हम करंट की दिशा बदलते हैं तो कंपास की दिशा भी बदल जाती है । तार में से जितना अधिक करंट बहेगा मैग्नेटिक फील्ड भी उतना ही बड़ा होगा । जब हम तार को कोयल की तरह लपेट देते हैं तो प्रत्येक तार एक मैग्नेटिक फील्ड बनता है । लेकिन आप बहुत सारे एक साथ मिलकर अधिक शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड बना देते हैं । हम किसी चुंबक के ऊपर लोहे का चुरा कर मैग्नेटिक फील्ड का पता लगा सकते हैं इस सूर्य की मदद से मैग्नेटिक फ्लक्स लाइंस दिखाई देने लगती है । जब बिजली की सप्लाई बंद होगी तो कोई magnetic field नही होगा लेकिन पावर सप्लाई से जोड़ने पर करंट कॉइल से बहाना शुरू कर देगा और मैग्नेटिक फील्ड बनने लगेगा । यह field अपने अधिकतम आकार तक बढ़ेगा । मैग्नेटिक फील्ड उर्जा संग्रहित करता है । जब पावर कट जाएगी तो मैग्नेटिक फील्ड रहने लगेगी और इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल जाएगा । इससे इलेक्ट्रॉन आगे बढ़ने लगेगा। वास्तव में यह बहुत तेजी से घटित होता है ।
एह ऐसा क्यों करता है .........???
इंडक्टर को करंट में बदलाव आना पसंद नहीं होता । वह उसे हमेशा एक जैसा रखना चाहते हैं । जब करंट बढ़ता है तो वह इसके विरुद्ध फोर्स लगाकर इसे रोकते हैं और जब करंट घटता है तो वह इलेक्ट्रॉन का प्रवाह बड़ा कर इसे समान बनाए रखने का प्रयास करते है । जब सर्किट का पावर ऑन किया जाता है तो करंट बढ़ता है , तब इंडक्टर back EMF या electromotive force इसके विरुद्ध लगता है और इसे रोकने की कोशिश करता है । एहा इंडक्टर में करंट बैटरी के द्वारा जाता है । हालांकि इंडक्टर में अभी भी थोड़ा बहुत करंट जा रहा होता है जो मैग्नेटिक फील्ड पैदा करता है । यह मैग्नेटिक फील्ड धीरे-धीरे बढ़ता है जिसकी वजह से करंट भी बढ़ता है और बैक ईएमएफ धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है । जब मैग्नेटिक फील्ड अधिकतम होगा तो करंट स्थिर हो जाएगा । इस समय इंडक्टर करंट का विरोध नहीं करेगा और एक सामान्य तार की तरह काम करने लगेगा , यह इलेक्ट्रॉनों को बैटरी की तरह जाने का एक आसान रास्ता प्रदान करेगा । इंडक्टर करंट का विरोध नहीं करेगा और एक सामान्य तार की । इसीलिए इलेक्ट्रॉन इंडक्टर से होकर प्रवाहित होंगे और लैंप बुझ जाएगा । जब हम बिजली आपूर्ति रोक देते हैं तो इंडक्टर को पता चल जाता है की करंट में कमी आते है और इसे यह बात पसंद नहीं आती , और वह आपूर्ति लगा तार स्थिर बनाने का प्रयास करता है । याद रहे , मैग्नेटिक फील्ड इंडक्टर से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉन से ऊर्जा संग्रह करलि है और करंट के बहाव को स्थिर बनाने के लिए वह इसे वापस इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देगा । लेकिन मैग्नेटिक फील्ड केवल तभी मौजूद होता है जब तार से होकर गुजरता है। और जैसे ही सर्किट के रेजिस्टेंस से करंट की मात्रा कम हो जाती है मैग्नेटिक फील्ड खतम हो जाता है और तब तक पुणे नहीं बनता , जब इसे दोबारा ऊर्जा नहीं दी जाए ।
⚫अगर हम अलग-अलग सर्किट में एक रजिस्टर और एक इंडक्टर से एक oscilloscope जोड़ दें तो हम इसके प्रभावों को वास्तविक रूप से देख पाए ।
जब करंट का प्रभा नहीं होता तो यह रेखा सुन्य पर सपाट रूप से चलते है । जब हम रजिस्टर में करंट प्रवाहित करते हैं हमें तुरंत एक लंबवत आकृति दिखती है । फिर यह straight रेखा बन जाती है और एक निश्चित मां पर चलती रहती है ।
लेकिन जब हम इंडक्टर को जोड़ते हैं और उसमें करंट प्रवाहित करते हैं तो यह तुरंत नहीं उठाता यह धीरे-धीरे बढ़ेगा और एक बक्राकार आकृति बनाएगा । समय के साथ-साथ एक समान घर से चलने लगेगा । जब हम रजिस्टर में बहने वाले करंट को रोक देते हैं यह तुरंत नीचे आ जाता है और अचानक ही लंबवत रेखा शून्य पर आ जाती है । लेकिन जब हम इंडक्टर में बहने वाले करंट को रोकते हैं तो करंट जारी रहता है । और एक और कर्व्ड प्रोफाइल शून्य पर आ जाती है । एह दर्शाता है कि किस तरह इंडक्टर शुरुआती वृद्धि को रोकता है और करंट की कमी को रोकने का भी प्रयास करता है ।
-:Types of inductor:-
1. Air core inductor:- इसके अंदर खाली हम इंसुलेटेड वायर का यूज करते है ।
2. Iron core inductor:- iron core inductor मे हमलोग iron का यूज करते है। मतलन पतले पतले iron का प्लेट को एक साथ लैमिनेट करके यूज करते है इंसुलेटेड वायर के बिच मै।
3. Ferrite core inductor:- ए कुछ इस तरीके से दिखते हैं। Ferrite एक टाइप का मटेरियल है। जो की इंसुलेट वायर के बिच मे डाला जाता है ।
Varriable core inductor:- इस टाइप का inductor के inductance को हम चेंज कर सकते है ।
-: Uses :-
1) energy store :-
Current जब अपनी वैल्यू sudden बदलता है तब इंडक्टर खुद का जो ऊर्जा संग्रहित हुआ है वह उसे दे देता है और करंट के मां को दूर करता है और फिर से वह ऊर्जा संग्रहित करता रहता है ।
2) Transformer:-
Transformer मै जो हम कोयल देखते है वोह इंडकटर है । इस कोयल के मदद से हम वोल्टेज को up and down कर सकते है ।
3) Electrical energy to Mechanical energy:-
जो भी motor होता है उसमे इंसुलेटेड वायर की कोयल बनी होती है । वोह भी एक इंडक्टर हि है। जो elecrical energy को mechanical energy मे कनवर्ट करता है ।
इसके इलावा भी ,
🔸इनका प्राओग ac supply ko रोके dc supply को देने के भी करते है ।🔸हम इनका उपयोग विभिन्न फ्रीक्वेंसी को फिल्टर करके अलग-अलग करने के लिए करते हैं । 🔸करंट को घटते हुए डीसी आउटपुट वोल्टेज को बढ़ाने हेतु हम इनका प्रयोग कनवर्टर को बूस्ट करने के लिए करते है ।
-: Symbol :-
-: Measurement :-
हम इंडक्टर का inductance Henry (H) यूनिट में मापते हैं । यह संख्या जितनी अधिक होगी इंडक्टेंस उतना ही अधिक होगा । इंडक्टेंस जितना अधिक होगा हम उतनी अधिक ऊर्जा इकट्ठी कर पाएंगे और दे पाएंगे ।
आप साधारण मल्टीमीटर से इंडक्टेंस नहीं मार सकते हालांकि कुछ मॉडलों में यह सुविधा इनबिल्ट होती है । लेकिन यहां सटीक परिणाम नहीं देते । हो सकता है यह आपके लिए ठीक हो । निर्भर करता है कि आप इसका उपयोग किस लिए कर रहे हैं । सटीक इंडक्टेंस मापने के लिए हम RLC मीटर की जररूत है ।
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