Description :-
Electric current दो तरीके से फ्लो होता है एक ऐसी के रूप में और एक डीसी के रूप में । इस दोनों में जो मैन डिफरेंस है वह है इलेक्ट्रोंस का फ्लो के direction का होता है । Ac में इलेक्ट्रॉन का जो फ्लो होता है वोह बदलता रहता है लेकिन डीसी में एक फिक्स्ड डायरेक्शन के इलेक्ट्रॉन फ्लो होता है ।
AC इलेक्ट्रिसिटी में वोल्टेज और करंट आगे और पीछे की ओर लगातार अपनी दिशा बदलते रहते है । क्योंकि Ac जनरेटर मे एक चुंबकीय क्षेत्र होता है जो तार में इलेक्ट्रोंस को धकेल था और खींचना रहता है । तो जैसे-जैसे आगे और पीछे की तरफ प्रवाहित होते हैं पॉजिटिव और नेगेटिव वैल्यू बदलती रहती है । वोल्टेज स्थिर नहीं रहती है भले ही मल्टीमीटर में स्थिर मन दिख रहा हो । अगर हम इसका ग्राफ बनाएं तो एक साइन वेव पैटर्न प्राप्त होगा ।
RMS value :-
एसी जनरेटर के अंदर अधिकतम तीव्रता वाले चुंबकीय क्षेत्र के तारों के कोयल से होकर गुजरने के कारण वोल्टेज सर्वोच्च पॉजिटिव वैल्यू और सर्वोच्च नेगेटिव वैल्यू के लिए बदलती रहती है । इस उदाहरण में वोल्टेज 170 वोल्ट तक जाती है । इसलिए अगर हम ग्राफ बनाएं तो पॉजिटिव और नेगेटिव ठीक 170 वोल्ट होगा अगर हम इन दोनों को तो वह जीरो वोल्ट होगा , इसे कोई फायदा नहीं हुआ । इसलिए किसी समझदार इंजीनियर ने root means square वोल्टेज का डिस्कवर किया है । इलेक्ट्रिकल आउटलेट से जोड़ने का मल्टीमीटर इसी वोल्टेज की गणना करते हैं ।
-:😊Types of current😊:-
Ac ( alternating current ) :-
Dc (Direct current ) :-
डीसी करंट टाइम के साथ vary नहीं करता । इसका जो फ्लो ऑफ इलेक्ट्रॉन , वह एक ही डायरेक्शन में स्लो करता है । डीसी periodically चेंज नहीं होता । बहुत सारी जगह पर यूज होता है जैसे की कोई मोबाइल का बैटरी हो गया , inverter , Torch light, motor etc ।
नीचे एक AC source है आप देख सकते हैं । हम अगर करंट का भी यही same graph बनाते है । तो करंट का भी सोर्स है तो कुछ ऐसा ही होगा । लेकिन rectifier ने इस अल्टरनेटिंग करंट को DC source मे बदल देता है कुछ इस तरीके से ।
इसका मतलब जहां पर करंट को ऑपोजिट डायरेक्शन पर फ्लो करना चाहिए था वहां पर करंट के फ्लो को गायब कर देता है । यह जो पूरा वेब है, sine या cosine जो भी wave है , इसका आधा को वह रेक्टिफाई कर रहा है , और बाकी जो आधा है उसे discard कर देता है । दिया गया है उसे नहीं कर है इसलिए यह आधा में कोई रेक्टिफाई कर सकते हैं तो इसीलिए आप इसे हाफिज रेक्टिफायर कहा जाता है।
-: Half Wave Rectifier :-
तुम ए जो एहापर देख रहे हो वह एक half wave rectifier है । Point A पर ac सोर्स है और B पॉइंट पर एक pn जंक्शन डायोड और C पॉइंट पर एक रजिस्टर है । तो यह जो AC source है , उसका पोटेंशियल डिफरेंस को हम ग्राफ में प्लॉट करते है । और इसे लोड से यानी कि जो रजिस्टर से जो करंट पास होगा उससे भी हम यहां पर प्लॉट करते है ।pic
जो ac source है वोह पहले हम मान लेते है ऊपर की तरफ़ positive और निचे की तरफ़ negative है। पहली कंडीशन मे जो पीएन जंक्शन डायोड है वह फॉरवर्ड बायस मे होगा और रजिस्टर से करंट तो भी फ्लो करेगा । जब पोटेंशियल डिफरेंस नहीं था तब करंट भी जीरो था इसलिए graph मे हम (0,0) से स्टार्ट करूंगा ।
और कुछ बात पोटेंशियल डिफरेंस और बड़ेगा , करंट भी बढ़ताही रहेगा, जब वह मैक्सिमम वोल्टेज पर चला जाएगा तो करंट भी मैक्सिमम पर चला जाएगा पॉजिटिव डायरेक्शन पर । रजिस्टर के अंदर करंट तो जा रहा है क्योंकि अभी पीएन जंक्शन डायोड फॉरवार्ड बॉयस मे ही है। हम जानते है V=IR तो यर थे r तो constant है , तो V जब बड़ेगा तो I भी बड़ेगा । अब पोटेंशियल डिफरेंस धीरे-धीरे कम होता जाएगा , और एकदम जीरो हो जाएगा तो करंट भी जीरो हो जाएगा ।
अब जब वोल्टेज नेगेटिव डायरेक्शन पर बड़ेगा, तो ac सोर्स का जो polarity है वह चेंज हो जाएगा । और अब पीएन जंक्शन डायोड Reverse bias में चला जायेगा । लेकीन करंट फ्लो नहीं होगा जब तक ac सोर्स का वोल्टेज यानी की polarity फिर से चेंज ना हो जाए । वोल्टेज तो बढ़ रहा है नेगेटिव डायरेक्शन मे ,लेकिन करंट नहीं बहेगा । और फिर से जब वोल्टेज जीरो होगा तो पोलेरिटी चेंज होगा , फिर से करंट बहन चालू हो जाए फॉरवार्ड बॉयस में । यह जो graph आप देख रहे हैं यह हॉफ वेव रेक्टिफायर का ग्राफ है । आप देख सकते हैं यहां पर फुल वेव को रेक्टिफाई नहीं कर पाया सिर्फ हॉफ वेव कोई rectify कर पाया है ।
-: Full wave rectifier :-
मान लेते है यहा पर ac एक सोर्स है और B point पर एक primary coil , C point पर एक secondary coil है । तो जैसे ही primary coil में से अल्टरनेटिंग करंट फ्लो करेगा secondary coil मे mutual induction के कारण emf induced होगा । तो हम सेकेंडरी कोयल को ही सोर्स मान के चलेंगे । क्योंकि अगर हम A point को सोर्स मन कर चलेंगे तो कुछ प्रॉब्लम होगा । जैसे की अगर प्राइमरी कोयल में वोल्टेज मैक्सिमम होगा हो तब सेकेंडरी coil मे induced emf जीरो होगा । और जब प्राइमरी coil मे पोटेंशियल डिफरेंस जीरो होगा तो सेकेंडरी coil मे इंड्यूस्ड ईएमएफ जीरो नहीं होगा । तो दोनों में फेस डिफरेंट है उसे कंसीडर करना होगा आगे हम बात करेंगे । तो हम C पॉइंट कोई सोर्स मान कर चलेंगे।
तो फिर से हम दो ग्राफ बनाएंगे आप लोग देख सकते है । A पॉइंट पर एक ac सोर्स है , B और C पॉइंट पर दो coil लगा हुआ है । D और E पॉइंट पर पीएन जंक्शन डायोड है । इस सर्किट को हम full wave rectifier कहते हैं ।
मान लेते है करंट कुछ इस डायरेक्शन पर फ्लो हो रहा है । हम देख सकते हैं D point पर जो डायोड है वह फॉरवार्ड बॉयस में है और E point पर जो डायोड है और रिवर्स बायस में तो करंट D पॉइंट पर जो डायोड है उसे शुरू करते हुए रजिस्टर में जाएगा कुछ इस डायरेक्पशन पर । और current का जो graph होगा उसका आधा साइकिल कंपलीट होगा ।
Half wave rectifier के केस मे आधा हिस्सा कंप्लीट होने के बाद और आधा हिस्सा कंप्लेंट नहीं होता। क्योंकि सर्किट में एक ही डायोड लगा हुआ है लेकिन फुल वेव रेक्टिफायर के केस में ऐसा नहीं होता । Full wave rectifier मे पोटेंशियल जीरो होने के बाद जब पोलैरिटी जब इंटरचेंज करेगा तब E प्वाइंट पर जो diode है वह फॉरवार्ड बॉयस में और D पॉइंट पर जो डायोड है और रिवर्स पबायस में चला जाएगा । इससे और जो आधा हिस्सा और है वह भी पूरा हो जाएगा । और एक फुल वेव साइकिल बन जाएगा । पर दोनों ही केस में रजिस्टर के अंदर एक ही डायरेक्शन पर करंट फ्लो होगा कुछ इस तरीके से ।
Post a Comment